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प्रकाश: परावर्तन तथा अपवर्तन – एक संपूर्ण मार्गदर्शिका

💡 प्रकाश: परावर्तन तथा अपवर्तन – एक संपूर्ण मार्गदर्शिका

प्रकाश हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। इसके बिना हम अपने चारों ओर की दुनिया को देख ही नहीं सकते। विज्ञान में, प्रकाश का अध्ययन करने के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं: प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light) और प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)। ये दोनों सिद्धांत प्रकाश के व्यवहार को समझने के लिए आधारभूत हैं, और इनका हमारे दैनिक जीवन में व्यापक अनुप्रयोग है। यह लेख इन दोनों अवधारणाओं को सरल और विस्तृत तरीके से समझाएगा।

विषय-सूची

  1. प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)
  2. प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)
  3. परावर्तन और अपवर्तन के बीच मुख्य अंतर
  4. कुछ रोचक तथ्य
  5. दैनिक जीवन में प्रकाश का चमत्कार
  6. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)

जब प्रकाश किसी चिकनी या चमकदार सतह से टकराकर वापस लौटता है, तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। हम किसी वस्तु को इसलिए देख पाते हैं क्योंकि उस पर पड़ने वाला प्रकाश परावर्तित होकर हमारी आँखों तक पहुँचता है। दर्पण (Mirrors) और चमकदार धातु की सतहें परावर्तन के सबसे अच्छे उदाहरण हैं।

परावर्तन के नियम

परावर्तन के दो मुख्य नियम हैं जो प्रकाश के परावर्तन के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं:

  1. पहला नियम: आपतन कोण (Angle of incidence, anglei) हमेशा परावर्तन कोण (Angle of reflection, angler) के बराबर होता है। यानी, anglei= angler। 
    परावर्तन का नियम, आपतन कोण = परावर्तन कोण

  2. दूसरा नियम: आपतित किरण (Incident ray), परावर्तित किरण (Reflected ray) और आपतन बिंदु (Point of incidence) पर खींचा गया अभिलंब (Normal) – ये तीनों एक ही तल (plane) में स्थित होते हैं।

गोलीय दर्पण और प्रतिबिंब (Spherical Mirrors and Images)

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं:

  • अवतल दर्पण (Concave Mirror): यह अंदर की ओर घुमा हुआ होता है। यह प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर अभिसारित (converge) करता है और वास्तविक तथा उलटे प्रतिबिंब बना सकता है। इसका उपयोग टॉर्च, शेविंग दर्पण और दंत चिकित्सकों द्वारा किया जाता है।
  • उत्तल दर्पण (Convex Mirror): यह बाहर की ओर घुमा हुआ होता है। यह प्रकाश की किरणों को अपसारित (diverge) करता है और हमेशा सीधा और छोटा आभासी प्रतिबिंब बनाता है। इसका उपयोग वाहनों में साइड-व्यू मिरर के रूप में किया जाता है।
    गोलाकार दर्पणों द्वारा निर्मित प्रतिबिंब

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)

जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है (जैसे हवा से पानी में), तो वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं। यह विचलन इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश की चाल विभिन्न माध्यमों में अलग-अलग होती है। 

दो भिन्न माध्यमों के लिए अपवर्तन का नियम

अपवर्तन के नियम (स्नेल का नियम)

अपवर्तन के भी दो मुख्य नियम हैं:

  1. पहला नियम: आपतित किरण, अपवर्तित किरण और दोनों माध्यमों को अलग करने वाली सतह पर आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब – ये तीनों एक ही तल में होते हैं।
  2. दूसरा नियम (स्नेल का नियम): आपतन कोण की ज्या (sine) और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात स्थिर होता है। इसे
    fracsinisinr= textस्थिरांक=n_21
    के रूप में व्यक्त किया जाता है। यहाँ n_21 दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक (Refractive Index) है।

अपवर्तनांक (Refractive Index)

अपवर्तनांक एक अनुपात है जो बताता है कि किसी माध्यम में प्रकाश की चाल, निर्वात (vacuum) में प्रकाश की चाल की तुलना में कितनी कम हो जाती है। इसे n से दर्शाया जाता है।
n= fractextनिर्वातमेंप्रकाशकीचालtextमाध्यममेंप्रकाशकीचाल= fraccv

अपवर्तक सूचकांक

गोलीय लेंस (Spherical Lenses)

लेंस अपवर्तन के सिद्धांत पर कार्य करते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं:

  • उत्तल लेंस (Convex Lens): यह बीच में मोटा और किनारों पर पतला होता है। यह प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर अभिसारित करता है। इसका उपयोग आवर्धक लेंस (magnifying glass) और चश्मे में दूरदर्शिता (hypermetropia) के उपचार के लिए किया जाता है।
  • अवतल लेंस (Concave Lens): यह बीच में पतला और किनारों पर मोटा होता है। यह प्रकाश की किरणों को अपसारित करता है। इसका उपयोग निकटदर्शिता (myopia) के उपचार के लिए किया जाता है।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection)

यह एक विशेष घटना है जो अपवर्तन से संबंधित है। जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करने का प्रयास करती है, और आपतन कोण (angle of incidence) क्रांतिक कोण (critical angle) से अधिक होता है, तो वह किरण दूसरे माध्यम में जाने के बजाय पूरी तरह से पहले माध्यम में ही परावर्तित हो जाती है। ऑप्टिकल फाइबर (optical fiber) और हीरे का चमकना इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

परावर्तन और अपवर्तन के बीच मुख्य अंतर

इन दोनों घटनाओं के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:

विशेषता परावर्तन (Reflection) अपवर्तन (Refraction)
घटना प्रकाश का उसी माध्यम में वापस लौटना प्रकाश का एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाना
माध्यम एक ही माध्यम में होता है दो अलग-अलग माध्यमों में होता है
प्रकाश की चाल नहीं बदलती बदल जाती है
उदाहरण दर्पण में प्रतिबिंब, चमकदार सतह पानी में मुड़ी हुई पेंसिल, लेंस

कुछ रोचक तथ्य

  • प्रकाश की चाल: निर्वात में प्रकाश की चाल लगभग 3 times10 8 मीटर प्रति सेकंड है, जो ब्रह्मांड में सबसे तेज है।
  • सूर्य की रोशनी: सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश को पहुँचने में लगभग 8 मिनट और 20 सेकंड का समय लगता है।
  • इंद्रधनुष: इंद्रधनुष प्रकाश के अपवर्तन, विसरण और पूर्ण आंतरिक परावर्तन तीनों का एक सुंदर मिश्रण है।
  • हीरे की चमक: हीरे की चमक का मुख्य कारण उसके उच्च अपवर्तनांक के कारण होने वाला पूर्ण आंतरिक परावर्तन है।
  • नीला आकाश: आकाश नीला इसलिए दिखता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश जब वायुमंडल से गुजरता है, तो वायु के कणों द्वारा नीले रंग का प्रकाश सबसे ज्यादा प्रकीर्णित (scatter) हो जाता है।

दैनिक जीवन में प्रकाश का चमत्कार

प्रकाश की ये घटनाएं हमारे रोजमर्रा के जीवन में हर जगह मौजूद हैं।

  • वाहनों के शीशे: साइड-व्यू मिरर के रूप में उत्तल दर्पणों का उपयोग होता है, जो पीछे से आ रहे वाहनों का छोटा और सीधा प्रतिबिंब दिखाते हैं, जिससे चालक को एक बड़ा देखने का क्षेत्र (field of view) मिलता है।
  • चश्मे और संपर्क लेंस: निकटदर्शिता (myopia) को ठीक करने के लिए अवतल लेंस और दूरदर्शिता (hypermetropia) को ठीक करने के लिए उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है।
  • ऑप्टिकल फाइबर: ये पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर काम करते हैं। इसका उपयोग दूरसंचार और चिकित्सा (endoscopy) में डेटा को बहुत तेज गति से भेजने के लिए होता है।
  • सूर्य का उगना और डूबना: सूर्योदय और सूर्यास्त के समय, सूर्य का लाल या नारंगी दिखना वायुमंडलीय अपवर्तन और प्रकीर्णन (scattering) के कारण होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

वास्तविक और आभासी प्रतिबिंब में क्या अंतर है?

वास्तविक प्रतिबिंब तब बनता है जब प्रकाश की किरणें वास्तव में एक बिंदु पर मिलती हैं। इसे पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है। आभासी प्रतिबिंब तब बनता है जब प्रकाश की किरणें किसी बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं, लेकिन वास्तव में मिलती नहीं हैं। इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।

लेंस की क्षमता (Power of a Lens) क्या है?

लेंस की क्षमता उसकी अभिसारित या अपसारित करने की क्षमता को दर्शाती है। इसे फोकस दूरी (focal length) के व्युत्क्रम (reciprocal) के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसका SI मात्रक डायोप्टर (diopter) है।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) क्या है?

यह एक ऐसी घटना है जिसमें प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाते समय, क्रांतिक कोण (critical angle) से अधिक कोण पर आपतित होती है, और वह दूसरे माध्यम में जाने के बजाय पूरी तरह से पहले माध्यम में ही परावर्तित हो जाती है। ऑप्टिकल फाइबर और हीरे का चमकना इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

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